हमारे सबसे पुराने पूर्वज कहाँ से आए ? चाँद, सूरज और समुद्र कहां से आए ?
पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ ?
आज से करीबन चार हज़ार बिलियन साल पहले धरती पर जीवन का आरम्भ हुआ, लेकिन क्या सच में पृथ्वी पर एवोलुशन (Evolution) हुआ था, ये भी कहा जाता है कि इंसान बन्दर के ही परिवर्तित रूप हैं क्या ये सब बातें सिर्फ एक फैक्ट (Fact) है, आइये विस्तार से जानते हैं।
कहा जाता है की जब पृथ्वी पर कुछ भी नहीं था तब पृथ्वी एक आग का गोला था, लेकिन कुछ तो ऐसा हुआ होगा जिससे पृथ्वी पर पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं के अनुकूल वातावरण परिवर्तन हुआ और इन्हे पनपने का मौका मिला, सबसे बड़ा एवोलुशन इंसानों के लिए हुआ था।
इसे अच्छी तरह से समझने के लिए पहले एक चीज़ समझनी होगी की कोई भी एवोलुशन की थिओरी ये नहीं बताती की बन्दर या चिम्पांजी ही इंसान बन गए, आदिकाल से सभी चिम्पांजी, बंदरों और इंसानों के पूर्वज एक ही थे जोकि आज जिन्दा नहीं हैं।
ऐसा कहना बिलकुल गलत नहीं होगा की आज हम जिस धरती पर हैं इस जगह का तापमान आज से करोडो साल पहले 8500 डिग्री पर उबाल खा रही थी या आज से लाखों साल पहले पूरी धरती बर्फ से ढकी हुई थी, ये दोनों बातें सही है आगे हम इसका विश्लेषण करेंगे।
सूर्य का जन्म कैसे हुआ ?
हमारा सौर्यमंडल आज जहाँ विराजमान है वहां आज से 450 करोड़ साल पहले गैस के बादल और धूल मौजूद थे शोधकर्ता के अनुसार इन गैस के बादलों से दूर एक तारा हुआ करता था समय के साथ उस तारे की शक्ति कम होने लगी या यूँ कहें वह तारा मर रहा था, इस मरते हुए तारे में एक विशाल विस्फोट हुआ, विस्फोट की वजह से बादलों में उपस्थित गैस और धूल दबने लगी और ये धूल कण बड़े पत्थरों और उल्कापिंड में परिवर्तित हो गए इसके साथ इन दबाव के कारण बादलों में स्थित रेडियो एक्टिव पदार्थ ने ग्रेविटी (Gravity) बनाया, ग्रेविटी के कारण केंद्र में हीलियम और हाइड्रोजन इकठ्ठा होने लगे, केंद्र में इन गैसों के दबाब के कारण एक विस्फोट हुआ और सौर्यमंडल में सूर्य (Sun) का जन्म हुआ। इसके बाद अंतरिक्ष में स्थित क्षुद्र ग्रह {Asteroids) सूर्य की परिक्रमा करने लगे, ग्रेविटी के कारण इन एस्टेरॉइड्स में भारी टकराव हुआ परिणामस्वरूप मरकरी (Mercury) वीनस (Venus) पृथ्वी (Earth) और मंगल (Mars) जैसे ग्रहों का जन्म हुआ, वैज्ञानिक बताते हैं कि उस समय मंगल और पृथ्वी के बीच थिया (Theia) ग्रह सूर्य की परिक्रमा किया करता था।
चन्द्रमा का जन्म कैसे हुआ ?
पृथ्वी पर ग्रेविटी के कारण सूर्य के इर्द गिर्द घूमने वाले ग्रह अब पृथ्वी की परिक्रमा करने लगे और इनमे से कुछ टूटकर धरती पर गिरने लगे, ऐसा ही कुछ पृथ्वी का पड़ोसी ग्रह थिया (Theia) के साथ हो रहा था जिसकी वजह से यह ग्रह धरती के और करीब आने लगा और एक दिन पृथ्वी से टकरा गया, इस टकराव की वजह से भरी विस्फोट हुआ जिससे निकले अग्नि धूल-कण अंतरिक्ष में फ़ैल गए और एक रिंग की तरह पृथ्वी की परिक्रमा करने लगे, इन परिक्रमा करते हुए कणों में टकराव होने लगा और यहाँ हमारे चाँद (Moon) का जन्म हुआ।
पृथ्वी पर धातु का निर्माण कैसे हुआ ?
आज से 450 करोड़ साल पहले धरती पर एक ही लावे का समुद्र हुआ करता था जो 1900 डिग्री तापमान पर उबल रहा था, ये वही सब पदार्थ थे जिन्हे आज हम अलग-अलग धातु के नाम से जानते हैं। धीरे-धीरे समय के साथ पृथ्वी का तापमान कम हो रहा था जिसके कारण पृथ्वी पर मौजूद भारी तत्व जैसे धातु और रेडियो एक्टिव पदार्थ पृथ्वी के केंद्र में जमा होने लगे और हल्के पदार्थ पृथ्वी की ऊपरी सतह पर इकठ्ठा हो गए।
इसके बाद लाखों सालों तक धरती पर नमक, मिनरल्स, और पानी के रूप में उल्का पिंडों की बरसात होती रही और पृथ्वी की ऊपरी सतह पानी से ढकने लगी, पानी की निचली सतह में फटे ज्वालामुखी के भीतर से सुक्ष्म जीवों का जन्म हुआ, इसके और लाखों साल बाद एक समय ऐसा भी आया जब पृथ्वी का पूरा सतह पानी से ढक गया।
पृथ्वी पर जमीन का निर्माण कैसे हुआ ?
हमारे पृथ्वी के सबसे अंदरूनी कोर (Core) रेडियो एक्टिव पदार्थ का बना हुआ है और ये गर्म होता रहता है और जब पृथ्वी की ऊपरी सतह ठण्ड हो जाती है तो इसकी गर्मी बाहर नहीं निकल पाती और भीतर ही भीतर एक ज्वालामुखी का निर्माण होता है, ठीक ऐसा ही उस समय भी हुआ था, पानी से भरी हुई पृथ्वी की सतह से ज्वालामुखी फूटने लगे, इन ज्वालामुखी का निकलना अगले लाखों सालों तक चलता रहा और इसके साथ जो लावा निकल रहे थे वे ठन्डे होकर जम रहे थे और यहाँ से जमीन का निर्माण शुरू हुआ।
पृथ्वी पर ऑक्सीजन का निर्माण कैसे हुआ ?
अब तक पृथ्वी पर अनुकूल वातावरण ना होने की वजह से आकाश से लगातार उल्कापिंडों का गिरना जारी था, आज से लगभग 300 करोड साल पहले पृथ्वी का वातावरण कुछ हद तक स्थिर होने लगा था, ज्वालामुखी का निकलना काफी हद तक कम हो गया था, उस समय पृथ्वी का एक दिन सिर्फ 12 घंटे का हुआ करता था, इस तरह कई लाख साल बीत गए और इन 250 करोड़ सालों में पानी की गहराई में सूक्ष्म जीवों का विकाश होता गया, ये ऐसे जीव थे जो खाने के लिए पानी में मौजूद मिनरल्स और धूप का उपयोग करते थे और उत्सर्जन के रूप ऑक्सीजन निकालते थे। इन माइक्रो बैक्टीरिया की वजह से वातावरण में ऑक्सीजन का भाग बढ़ने लगा, ऑक्सीजन बढ़ने की वजह से पृथ्वी पर वायुमंडल बनना आरम्भ हुआ।
इस तरह आने वाले हजारों सालों तक पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती गयी जिसके कारण पृथ्वी के अनेक हिस्सों में ये सुक्ष्म जीव फ़ैल गए, और एक समय ऐसा भी आया ऑक्सीजन ज्यादा बढ़ने की वजह से ये सुक्ष्म जीव मरने लगे।
उस वक्त तक पृथ्वी काफी ठंडा हो चुका था जिसके कारण जमीन में स्थित लोहे और मिनरल पानी में मौजूद ऑक्सीजन से रियेक्ट होने लगे, एक समय ऐसा भी आया जब पृथ्वी पूरी लाल रंग की हो चुकी थी वक्त के साथ पृथ्वी के टेक्टोनिक प्लेट्स में दरार पड़ने लगी और इन दरारों से ज्वालामुखी फट कर सालों धरती पर उबलते रहे जिसके कारण पृथ्वी पर कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बहुत बढ़ गयी और पृथ्वी पर एसिड की बारिश होने लगी, इस बारिश की वजह से पृथ्वी का तापमान इतना कम हो गया कि इसके ऊपरी सतह का पानी बर्फ में बदल गया, इस वक्त तक पृथ्वी पूरी बर्फ से ढक कर सफ़ेद दिख रही थी।
अक्सर सूर्य की गर्मी खुली धरती सोख लेती है, चूँकि पृथ्वी बर्फ से ढकी और सफ़ेद होने के कारण यह काम नहीं कर पाती थी इसलिए लाखों सालों तक इस तरह रहने के बाद फिर से बर्फ के बीच ज्वालामुखी निकलना शुरू हो गया, इसकी गर्मी ने बर्फ को पिघलाने का काम किया, इसी बीच समुद्र के गहराई में बचे खुचे सूक्ष्म जीव म्यूटेट (Mutation) हो गए थे. वे अब अतिरिक्त ऑक्सीजन से अपना आकार बड़ा और मजबूत बना रहे थे और इसके साथ पानी के अंदर छोटे पौधे निकलने लगे थे।
ज्वालामुखी की वजह से बर्फ तो पिघल रही थी लेकिन वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही थी, फिर एसिड की बारिश और पृथ्वी का बर्फ से ढक कर सफ़ेद होना, ये चक्र बार-बार कई हजारों सालों तक चलता रहा, इस तरह समुद्री जीवों को पनपने का मौका मिला, ये आकार में बड़े हो चुके थे और धरती की सतह पर आने लगे, जब ज्वालामुखी ने बर्फ को तेजी से पिघलाना शुरू किया तो समुद्री पौधे जल्दी विकसित होकर जंगल का रूप लेने लगे धीरे-धीरे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से पृथ्वी की ओजोन लेयर मोटी होने लगी।
तक़रीबन 47 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर पहली बार मोसेस (Mosses) नामक पौधे उगे, समय के साथ यहाँ अन्य पेड़ पौधे उगना शुरू हुए, कुछ सालों बाद जमीन के पेड़ों की लम्बाई 80 फ़ीट तक पहुँच गयी, समुद्री जीव अब तक जमीन पर रहना सीख रहे थे, पृथ्वी की सूखी जमीन एक जगह सिमट कर रह गयी थी जिसे आज हम पेंजिआ (Pangea) महाद्धीप के नाम से जानते हैं, धरती का तापमान लगभग स्थिर हो चुका था और पृथ्वी पर पूरा दिन अब 21-22 घंटे का होने लगा था।
डायनासोर का जन्म कैसे हुआ ?
अब समुद्री जीव पानी से बाहर रहना सीख चुके थे वातावरण में बदलाव के कारण उनका शरीर पहले से बड़ा और डायनासोर जैसा विशाल रूप ले चुका था, इनमे से कुछ पेड़ के पत्ते और कुछ शिकार करके अपना आहार जुटाते थे, पृथ्वी के ज्यादातर जमीन बंजर हो चुकी थी, आज से 20 करोड़ साल पहले पेंजिआ (Pangea) महाद्धीप टूटना शुरू हुआ, इस विभाजन की वजह से पृथ्वी की बंजर जमीन पानी के तरफ बिखरने लगी और जंगलों में हरियाली बढ़ती गयी, इस जंगलों में डायनासोर ने करोड़ों साल पृथ्वी पर राज किया, उस वक्त डायनासोर पृथ्वी, जल और आकाश पर राज किया करते थे।
हिमालय पर्वत का निर्माण कैसे हुआ ?
आज का भारत अफ्रीका से टूटकर तिब्बत से टकराया और इस टक्कर से धीरे-धीरे हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ।
पृथ्वी से डायनासोर कैसे विलुप्त हुए ?
आज से तक़रीबन साढ़े छह करोड़ साल पहले माउन्ट एवेरेस्ट से भी बड़ा लगभग 4.5 लाख करोड़ किलो वजन का उल्कापिंड 80000 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से आ रहा था पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही उसमे भयंकर आग लग गयी और देखते ही देखते उल्कापिंड एक आग के गोले में परिवर्तित हो गया और पृथ्वी से टकरा गया इस टकराव से निकलने वाली ऊर्जा आज के एक साथ 10 करोड़ परमाणु बम एक साथ फटने के बराबर माना जाता है, जहाँ ये उल्कापिंड गिरा वहां के जंगल और जीव जंतु जलकर भाप बन गए देखते ही देखते धरती के वायुमंडल में भारी धूल फैलने लगी, समुद्र में भयंकर बाढ़ की स्थिति पैदा हो गयी, आग और भूकंप की तीव्रता इतनी कि पृथ्वी जलने लगी, कुछ ही समय में पृथ्वी पर हानिकारक गैस फ़ैल गए, डायनासोर आग और घुटन की वजह से पूरी तरह से विलुप्त हो गए।
धरती पर मानव जीवन की शुरुआत कैसे हुई ?
इस जलजले में हमारे पूर्वज प्रोसिमियन (Prosimians) समुद्र की गहराई में रहते थे जिसके कारण वे इस विशाल प्रलय से खुद को बचा लिया, पृथ्वी का वातावरण पूरी तरह से काला और अँधेरे जैसा हो चुका था जिसकी वजह से पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुँच पा रही थी, जंगल और अन्य छोटे जीव विलुप्त हो गए, पृथ्वी पर विषैले गैस की वजह से फिर से एसिड की वर्षा शुरू हो गयी और पूरी धरती बर्फ से ढक गयी लेकिन ऐसा कुछ हजार सालों के लिए हुआ था लगभग 80 से 90 हजार साल बाद ये बर्फ पिघलनी शुरू हो गयी, बर्फ के पिघलते ही जंगलों में हरियाली छा गयी और धरती पर वातावरण पहले जैसा हो गया और हमारे समुद्र में रहने वाले पूर्वज जमीन पर रहना सीखने लगे और फिर इनका शारीरिक आकार बंदरों में परिवर्तित हुआ, ये अफ्रीका के घने जंगलों में आराम से रहने लगे लेकिन जैसे-जैसे धरती पर गर्मी बढ़ती गयी ये जंगल भी सूखने लगे बंदरों को खाने की कमी होने लगी, खाने की खोज में बंदरों ने अपने पैरों पर चलना सीख लिया इससे उन्हें दूसरे जानवरों का शिकार करने में आसानी होती थी।
धीरे-धीरे बन्दर से वानर मतलब एप्स (Apes) में परिवर्तित हुए, खाने की तलाश में वानर पृथ्वी के दूसरे हिस्सों में दूर-दूर तक जाने लगे, और जहाँ वे जाते उनके शरीर का रंग रूप वहां के मौसम के अनुसार बदल रहा था, समय के साथ इन्हे आदिवासी का नाम दिया गया, इन्होने पत्थर के हथियार से लेकर आग का अविष्कार किया और आदिवासी धीरे-धीरे आज के मानव के रूप में विकसित हुए, हमने धर्म, भाषा, इत्यादि को बनाया और समय के साथ इंसान विकसित होते चले गए।
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